रंजक क्रिया
रंजक
क्रिया
रंजक क्रिया-
अर्थ में विशेषता लाने वाली क्रियाओं को रंजक क्रिया कहते हैं, या जब कोई क्रिया मुख्य क्रिया में जुड़कर उसके
अर्थ में एक विशेष प्रकार की नवीनता तथा विशेषता ला दे, उन्हें रंजक क्रिया कहते हैं।
रंजक क्रिया
वाक्य प्रयोग
जाना (पूर्णता या
समाप्तिबोधक) वह चला गया।
सकना (शक्यताबोधक) वह अपने आप जा सकता है।
लेना (पूर्णताबोधक) उसने पेंसिल ले ली।
देना (पूर्णताबोधक) उसने पुस्तक दे दी।
उठना (आकस्मिकताबोधक) इतने
दिनों के बाद वह उसे देखकर चीख उठा।
आना (अनायासकबोधक) बच्चा अचानक रो पड़ा।
चाहना (इच्छाबोधक) मैं कक्षा में प्रथम आऊँगा
पड़ना (अनायासताबोधक) बच्चें चुटकुला सुनकर हँस पड़े।
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