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क्रियाविशेषण, क्रियाविशेषण के भेद

क्रियाविशेषण     क्रिया की विशेषता बताने वाले अव्यय शब्द क्रियाविशेषण कहलाते हैं।   उदाहरण- 1.  राम मधुर बोलता है।            2.  उसने धीरे से दरवाजा खोला। 3.  हमने मीठे फल खाए।           4.  माँ ने खाना अच्छा बनाया।   क्रियाविशेषण   के भेद क्रियाविशेषण के चार भेद होते हैं- 1.  कालवाचक क्रियाविशेषण         2.  स्थानवाचक क्रियाविशेषण   3.  परिमाणवाचक क्रियाविशेषण       4.  रीतिवाचक क्रियाविशेषण   कालवाचक क्रियाविशेषण- वह अव्यय शब्द जिनसे काल अथवा समय सम्बन्धी जानकारी का बोध हो ,  उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे जब ,  तब ,  कब ,  अब ,  परसों ,  कल ,  आज ,  मासिक ,  वार्षिक इत्यादि। उदाहरण- 1.  वह कल आएगा।               2.  प्रतियोगिता दर्पण मासिक पत्रिका है। 3.  तुम अब चले जाओ।            4.  तुम्हारे पेपर परसों से हैं।   स्थानवाचक क्रियाविशेषण- जिन अव्यय शब्दों से स्थान अथवा दिशा का बोध हो ,   उन्हें स्थानवाचक अव्यय शब्द कहते हैं। जैसे यहाँ ,  वहाँ ,  कहाँ ,  ऊपर ,  नीचे बाहर ,  अन्दर ,  इधर ,  उधर ,  पूर्व दिशा इत्यादि। उदाहरण- 1

संविधान की अष्टम अनुसूचि में सम्मिलित 22 भाषाएँ

संविधान की अष्टम अनुसूचि में सम्मिलित 22 भाषाएँ हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में 14 सितम्बर,  1949 को स्वीकार किया गया। धारा 343  के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा हिन्दी एवं लिपि देवनागरी होगी।  संविधान  में हिंदी को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव गोपाल स्वामी आयंगर ने प्रस्तुत किया था। भारतीय संविधान में 22    भाषाओं को मान्यता दी गई। जोकि इस प्रकार से हैं- 1. असमिया 2. मराठी  3. तेलुगू  4. बांग्ला, 5. गुजराती  6. हिंदी  7.कन्नड़  8. कश्मीरी 9. उड़िया  10. पंजाबी  11. संस्कृत  12. उर्दू  13. तमिल  14. मलयालम 21वें संशोधन के अंतर्गत वर्ष 1967 में सिन्धी भाषा  को शामिल किया गया। 71वें संशोधन के अंतर्गत वर्ष 1992 में कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली  भाषाओं को शामिल किया गया। 92वें सशोधन के अनुसार संधिान में  बोडो ड़ोगरी मैथिली, संथाली को शामिल किया गया।

varna, varna ke prakar, swar aur vyanjan, Anuswar, Anunasik, hrasav swar,plut swar

 वर्ण भाषा की सबसे छोटी ईकाई को वर्ण कहते है, इसके टुकड़े नहीं किये जा सकते। वर्णों की संख्या 52 होती है। (अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ क् ख् ग् घ् ड़् च् छ् ज् झ् ञ् ट् ठ् ङ् ढ् ण् त् थ् द् ध् न् य् र् ल् व श् ष् स् ह् क्ष् ज्ञ् त्र् श्र् (अं, अः, ड़, ढ़) वर्णों को दो भागों में विभाजित किया गया है- (1) स्वर (2) व्यंजन स्वर   जिन वर्णों के उच्चारण में ध्वनि बिना किसी रुकावट के मुख से बाहर निकलती है, उन्हें स्वर कहते है। स्वरों को तीन भागों में विभाजित किया गया है। जो इस प्रकार से है- (क) ह्रस्व स्वर (ख) दीर्घ स्वर (ग) प्लुत स्वर (क) ह्रस्व स्वर:-   इनके उच्चारण में सबसे कम समय लगता है इनकी संख्या चार है। अ, इ, उ, ऋ इन्हें मूल स्वर भी कहा जाता है। (ख) दीर्घ स्वर:- इनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर से दो गुना समय लगता है। इनकी संख्या 7 है। (आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ)। ( ग ) प्लुत स्वर:- इनके उच्चारण में ह र्सव स्वर से तीन गुना समय लगता है। जैसे- ओ३म अयोगवाह:- हिंदी वर्णमाला में दो वर्ण ऐसे है जो न तो स्वर है और न हीे व्यंजन। ये वर्ण हैं- ‘ अं , अः ’ इनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से नहीं किया सकता। इन
    संज्ञा   किसी व्यक्ति ,  वस्तु ,  स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं।   संज्ञा के भेद:- संज्ञा के तीन भेद होते हैं- 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा    2. जातिवाचक संज्ञा    3. भाववाचक संज्ञा 1.  व्यक्तिवाचक संज्ञा जो संज्ञा शब्द किसी विशेष व्यक्ति ,  वस्तु स्थान या प्राणी के नाम का बोध कराते हैं ,  उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। उदाहरण - अब्दुल कलाम हमारे देश के राष्ट्रपति थे।      मदर टेरेसा एक समाज सेविका थीं।   इंडिया गेट दिल्ली में है।                           रामायण पवित्र ग्रंथ हैं। 2.  जातिवाचक संज्ञा जो संज्ञा शब्द किसी विशेष व्यक्ति ,  वस्तु ,  स्थान या प्राणी के नाम का बोध कराते हैं ,  उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा करते हैं। उदाहरण - बालक मैदान में खेल रहे है।         बरसात में नदियाँ जल से भर गईं।   फलों की टोकरी मेज पर रखी है।     अध्यापक अपनी-अपनी कक्षा में पढ़ा रहें हैं।     3.  भाववाचक संज्ञा जिन संज्ञा शब्दों से किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के गुण ,  दोष ,  अवस्था आदि का बोध होता है ,  वे भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं। उदाहरण - गांधी जी ने अहिंसा से आजादी प्राप्त की।    मंदिर की

रंजक क्रिया

    रंजक क्रिया रंजक क्रिया- अर्थ में विशेषता लाने वाली क्रियाओं को रंजक क्रिया कहते हैं , या जब कोई क्रिया मुख्य क्रिया में जुड़कर उसके अर्थ में एक विशेष प्रकार की नवीनता तथा विशेषता ला दे , उन्हें रंजक क्रिया कहते हैं। रंजक क्रिया                                                     वाक्य प्रयोग जाना (पूर्णता या समाप्तिबोधक)         वह   चला गया। सकना (शक्यताबोधक)                                  वह   अपने आप जा सकता है। लेना (पूर्णताबोधक)                                        उसने पेंसिल ले ली। देना (पूर्णताबोधक)                                         उसने पुस्तक दे दी। उठना (आकस्मिकताबोधक)                           इतने दिनों के बाद वह उसे   देखकर चीख उठा। आना (अनायासकबोधक)                               बच्चा अचानक रो पड़ा। चाहना (इच्छाबोधक)                                     मैं   कक्षा में प्रथम आऊँगा पड़ना (अनायासताबोधक)                              बच्चें चुटकुला सुनकर हँस पड़े।     

शब्द की परिभाषा और उसके प्रकार

  शब्द   अनेक वर्णों के मेल से बनी एक स्वतंत्र   तथा सार्थक ध्वनि को  ‘ शब्द ’  कहते हैं।   जैसे-पढ़ ,   लिख ,   बढ़ ,   चढ़ ,   चलना ,   कमल इत्यादि। शब्दों के प्रकार शब्दों के चार प्रकार होते हैं। 1  उत्पत्ति के आधार पर 2  रचना के आधार पर 3  अर्थ के आधार पर 4  प्रयोग के आधार पर   1  उत्पत्ति के आधार पर शब्द के पाँच भेद हैं।    1  तत्सम    तत्सम शब्द संस्कृत के मूल शब्द होते है ,  यह संस्कृत भाषा से ऐसे के ऐसे ही ले लिए   गए हैं। जैसे- नेत्र ,  कर्ण ,  चरण ,  सूर्य ,  गृह इत्यादि। 2  तद्भव   जो शब्द संस्कृत से परिवर्तन के साथ हिन्दी में आए ,  उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं। जैसे आँख ,  कान ,  पैर ,  सूरज ,  घर इत्यादि। 3  देशज    देशज शब्द वह शब्द होते है जो विभिन्न बोलियों से हिंदी में आ गए हैं। पगड़ी ,  खिड़की ,  लाठी ,  डिबिया ,  कौड़ी इत्यादि।   विदेशज या आगत शब्द (विदेशी शब्द   ऐसे शब्द जो अन्य भाषाओं से हिंदी भाषा में जुड़ गए है ,  उन्हें विदेशज या आगत शब्द कहते हैं। जैसे- अग्रेंजी ,  फारसी ,  अरबी ,  उर्दू ,  इत्यादि इन शब्दों को हम आम बोलचाल की भाषा में भी प्रयोग करते हैं। अग्रेंज